Sunday, September 03, 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 तिथि / Shree Krishna Janmashtami 2023

 


श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि, समय, महूर्त, नक्षत्र ज्ञान


श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. 

इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है. 

आज इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको सही तिथि, समय के बारे में बता रहा हूं ताकि आप भटके न 

कुछ लोग उदित तिथि के आधार पर 7 तारीख को अष्टमी मान रहे हैं जो कि ठीक भी है 

लेकिन रात्रि में नवमी तिथि होगी और रोहिणी नक्षत्र योग उस रात्रि नही है

तो अपनी सोच से काम लें किसी ले बहकावे में न आये

जन्माष्टमी 2023

द्वापर युग में श्रीहरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था. 

हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है.

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. 

इस साल जन्माष्टमी बहुत खास है क्योंकि इस बार कान्हा का जन्मदिवस बुधवार को ही मनाया जाएगा, 

जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी 2023 तिथि 

भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरू - 06 सितंबर 2023, दोपहर 03.37 

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त - 07 सितंबर 2023, शाम 04.14


6 सितंबर 2023 - गृहस्थ जीवन वालों को इस दिन जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा. 

इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात्रि पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. 

बाल गोपाल का जन्म रात में ही हुआ था. नंद के लाल कान्हा का जन्म मथुरा में हुआ था, 

इसलिए इस साल 6 सितंबर को मथुरा में भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

7 सितंबर 2023 - पंचांग के अनुसार इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. 

साधू, संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है.


जन्माष्टमी 2023 पर रोहिणी नक्षत्र 

रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20

रोहिणी नक्षत्र समाप्त - 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25


जन्माष्टमी 2023 पूजा मुहूर्त 

श्रीकृष्ण पूजा का समय - 6 सितंबर 2023,रात्रि 11.57 से 07 सितंबर 2023, अर्धरात्रि 12:42

पूजा अवधि - 46 मिनट , मध्यरात्रि का क्षण - प्रात: 12.02


जन्माष्टमी 2023 व्रत पारण समय 

धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय - 07 सितंबर 2023, शाम सुबह 06.02 मिनट के बाद

वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय - 07 सितंबर 2023, प्रात: 12.42 को कान्हा की पूजा के बाद

नोट : यहां सूचना सिर्फ वैदिक पंचांग की गड़ना पर आधारित है 

दिशा, स्थान, के आधार पर समय अवधि में कुछ मिनटों का बदलाव हो सकता है 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

हवन की सरल विधी/ Hawan ki Saral Vidhi

     


आज जो में आपको हवन की विधी बताने जा रहा हूं वह एकदम सरल है

जिसे आप खुद अपने घर पर कर सकते हैं वो भी बिना किसी दिक्कत के

सबसे पहले जरूरी सभी सामग्री एक जगह इकट्ठा कर लें , हवन कुंड को रोली, हल्दी से सजा लें

अब पहले पवित्रीकरण करें फिर आचमन करें उसके बाद सभी के रोली से टिका करके कलावा बांधे 

अब अग्नि देव के नाम से दीपक जलाएं

फिर कुंड में आम की लकड़ियां लगा लें और हाथ मे चावल और पुष्प लेकर कुंड में अग्निदेव को स्थान देते हुए छोड़ दें 

फिर कपूर की सहायता से दीपक से अग्नि जलाए ,अग्नि जलने के बाद 


सबसे पहले गुरू मंत्र की तीन , पांच, सात या ग्यारह आहुति दें घी से


फिर नीचे लिखे क्रम से सभी की तीन तीन  आहुति दें

ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन महा गणाधिपतये नमः स्वाहा

ॐ श्री अग्नि देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री इष्ट दैवतायै नमः स्वाहा

ॐ श्री  कुल दैवतायै नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो पित्रभ्यो नमः स्वाहा

ॐ ग्राम देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ स्थान देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो लोकपालभ्योनमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो दिक्पालभ्यो नमः स्वाहा

ॐ नव ग्रहाये मंडलाय स्वाहा

ॐ श्री शची पुरन्धरभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री  लक्ष्मी नारायणभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री उमा महेश्वरभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री वाणी हिरण्यगर्भभ्यो  नम स्वाहा

ॐ श्री मातृपितृचरण कमलभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन महा गण पतये नमः स्वाहा




इसके बाद अपने पास से कोई भी बंधन मंत्र की आहुति डलवाये

अब आहुतियां पूर्ण होने के बाद मुख्य शक्ति को अग्नि में ही भोग दें

साथ मे अग्नि देव को भोग देते हुए कहें 

हे अग्निदेव मेने जो भी जैसे भी जिस शक्ति का भी हवन पूजन आपके माध्यम से किया है 

यह सब उनतक पहुचाये ओर मेरा फल मुझे प्रदान करवाने में सहयोग करें 

ये भोग स्वीकार 


फिर अंत मे एक सूखे गोले मे घी लगाकर थोडा काटकर फिर उसके अन्दर हवन सामग्री भर दें

और उसे वापस कलावे से लपेट कर रखे सभी यजमानों के हाथ से स्पर्श करवाएं ओर मुख्य यजमान से खड़े होकर अग्नि कुंड के आहुति डलवा दें 

ये मंत्र पढ़ते हुए

ॐ पूर्ण वेद पूर्ण आहुति पूर्ण आगम अलख सुख श्रीं ह्रीम स्वाहा


सारी बची सामग्री उसी मे होम कर देनी चाहिये और घी भी , अब खडे होकर परिक्रमा लगा लो  प्रार्थना कर लो

हो गया हवन बिना किसी दिक्कत के 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693