वैदिक तंत्र साधना संस्थान
जाप माला को जागृत ( प्रतिष्ठित ) करना
( वैसे तो तंत्र मैं प्राण प्रतिष्ठित माला का विशेष महत्व नहीं है क्योंकि तंत्र भाव प्रधान है
तो आप पूर्ण भाव से यदि कंकड़ की माला बनाकर जाप करते हो तो भी सफलता मिलेगी )
यह विधान में उन लोगों के लिए दे रहा हूं जिन्हें लगता है प्राण प्रतिष्ठित माला से जाप करने से उनकी साधना एक बार में सफल हो जाएगी
भारतीय वैदिक संस्कृति में प्राण प्रतिष्ठा या जागृति का विशेष महत्व है
मंत्रों द्वारा किसी भी यंत्र, मूर्ति ,माला या विशेष कोई अस्त्र को अभिमंत्रित करके उसे प्राण प्रतिष्ठित करके स्थापित किया जाता है
यह देखा जाता है की मंदिरों में मूर्तियों को भी प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है
प्राण प्रतिष्ठा का मतलब होता है अपनी प्राण ऊर्जा, आत्मउर्जा को किसी भी निर्जीव वस्तु में स्थानांतरित करके उसे ऊर्जावान बनाना
प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति या यंत्र का पूजन करने से फल कई गुना अधिक मिलता है
या प्राण प्रतिष्ठित माला से जाप करने से जाप का फल भी कई गुना बढ़ जाता है
तो आज आप सभी को मैं माला को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि देने जा रहा हूं
जिसे आप स्वयं कर सकते हो और अपनी किसी भी माल को जागृत कर सकते हो
चाहे वह रुद्राक्ष ,स्फटिक ,काले हकीक, तुलसी या चंदन की हो
बाजार से माला लेते समय आपको माला का हर एक मनका देखना है कि वह टूटा फूटा ना हो मोती में किसी प्रकार की चटक ना हो ( ज्यादा असली नकली के चक्कर में नहीं पड़ना है बस पूर्ण विश्वास के साथ खरीद ले )
किसी भी रविवार या सोमवार वाले दिन सुबह नहा धोकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर लाल वस्त्र पहनकर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके लाल आसन पर बैठे
अपने साथ गुरु पूजन की सारी सामग्री तथा निम्न सामग्री रखें कच्चा दूध, गंगाजल, स्वच्छ जल, चंदन, पीपल के पत्ते 11, एक बड़ी थाली
सबसे पहले अपने सामने खाली रखें और उसमें पीपल के पत्ते बिछा लें
अब उन पीपल के पत्तों पर जिस माला को प्राण प्रतिष्ठित करना है उसको रखें
अब पहले गुरु का पंचोपचार पूजन करें भोग में बुंददी लड्डू दें
फिर माला को साफ पानी से धो लें ,
फिर गंगाजल से धुलें, फिर कच्चे दूध से स्नान कराएं उसके बाद पुनः साफ जल से धुले
इतना करने के बाद पुनः उसे पत्तों पर स्थापित करें अब चंदन से टीका करें और धूप दीप करें
अब अपने दोनों अंगूठे माला के सुमेरु पर लगाएं और दिए गए मंत्र का कम से कम 30 मिनट तक जाप करें
उसके बाद माला को दाहिने हाथ में लेकर बिना तर्जनी उंगली का स्पर्श किये मध्यमा उँगली से मंत्र का 11 माला जाप करें
जाप की संख्या निश्चित नही है आप 11, 21, 31 या जितनी कर सकते हो या जितनी ऊर्जा आपको माला में डालनी है
उतना कर सकते हो।
दिव्य मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ( रुद्राक्ष ) अक्षमालिकायें प्राण प्राणाय जाग्रति कुरु कुरु नमः
मंत्र में जहां रुद्राक्ष लिखा है आप वहां माला का नाम बदल सकते हैं जैसे हकीक, चंदन आदि
भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरी
वैदिक तंत्र साधना संस्थान®
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