Saturday, September 02, 2023

ज्योत ( अग्यारी ) की विधी / Jyot ki Vidhi

 



आज मे आपको ज्योत करने की विधि बता रहा हू जिसे गॉवो मे अग्यारी करना कहते है

मुझसे कई साधकों ने पूछा है की शक्तियों को ज्योत पर भोग केसे देते हैं 

आप अपने ईस्ट को या घर की अन्य शक्तियों को मंगलवार या शनिवार और त्योहार वाले दिन ज्योत करके भोग दे सकते है 


ज्योत पर देव या देवी को भोग दिया जाता है जो सीधा देवता ग्रहण करता है

सभी साधको को अपनी इष्ट की शक्ति बढाने उने भोग देने के लिये कम से कम हफ्ते मे एक बार ज्योत अवश्य  करनी चाहिये

ज्योत कंडे ( उपले ) पर होती है यह छोटा सा हवन जैसा होता है लेकिन हवन नही होता 


विधि 


उपला या गोबर के कंडे को जला कर  ( या गैस पर कुछ देर रख दे  पूरा जलने के बाद  )|  

 लाल होने के बाद उस पर धूप डाले फिर तेल डालो चम्मच से थोडा सा फिर माचिस से जला दो

आप जलाने के लिए कपूर का प्रयोग भी कर सकते है 

कुछ लोग दीपक पास मे रख देते है 

केसे भी करो ज्योत जलनी चाहिये बस

वो चारो तरफ से बहुत अच्छी जलने लगेगी लो हो गई ज्योत तैयार

फिर जो लौग बतासे भोग मे देने है वो देवता का नाम लेकर ज्योत पर चढाते जाये

या बूंदी का लड्डू आपको ज्योत पर ही देना है देवता के नाम से

बस हो गई ज्योत

धूप तेल थोडा थोडा बीच बीच मे डालते रहे

उपला ( कंडी  ) अच्छी तरह से जलना चाहिये

नही तो ज्योत पर आग ठीक से नही जलेगी


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

श्री गुरु चरण पूजन विधि व स्त्रोत/ Shree Guru Charan Pujan Wa Strotra

 


गुरू पूजन देव पूजन से भी उत्तम है जो शिष्य नित्य गुरू पूजन करते है

उनकी सभी साधना निर्विध्न पूर्ण होती है और पूरी सफलता प्राप्त होती है

देव कृपा से अधिक गुरू कृपा की महत्ता है  इसलिये हमे गुरू पूजन अनिवार्य

रूप से नित्य करना चाहिये


जिन साधको ने गुरू से दीक्षा ली है वो गुरू द्वारा दिये गये गुरू मंत्र से पूजन करे

जिनके पास गुरू मंत्र नही है वो मेरे दिये इस मंत्र द्वारा पूजन करे

ओम ह्रीम गुरो प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यम्


गुरू की तस्वीर सामने स्थापित करे , गुरू पूजन का संकल्प ले, गुरूजी का आवाहन करे


पूजन के लिये आप घी का दीपक लगाये ,अगर बत्ती जलाये  ,सेन्ट  ,चन्दन , पुष्प ,चावल ,वस्त्र ,फल ,  मिठाई , जल  आदि पंचोपचार पूजन करे गुरू स्त्रोतो का पाठ करे  यथा शक्ति गुरू मंत्र  का पाठ करे


 गुरूजी से कृपा प्राप्ति का आर्शिवाद ले

पूजन का विसर्जन  करे


गुुरू स्त्रोत    ------

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु

गुरूदेवो महेश्वर

 गुरू साक्षात परम ब्रह्म

तस्मै श्री गुरवै नमः


ध्यानम् मूलं गुरू मूर्ति

पूजा मूलं गुरो पदमं

मंत्र मूलं गुरू वाक्यम्

मोक्ष मूलं गुरू कृपा


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव

त्वमेव विधा द्रवणम् त्वमेव

त्वमेव सर्वम्  मम् देव देव  


गुरू गंगा गुरू गोमती

गुरू देवां रा देव

गुरू सू चेला आगला

करे गुरॉ री सेव


गुरू गोविन्द दोऊ खडे

काकै लागूं पाय

बलिहारी गुरू आपने

गोविन्द दियो बताय


 सब धरती कागज करूं

 लेखनि सब वनराय

सात समुद्र की मसि करूं

गुरू गुन लिखा न जाय


मात पिता तो फेर मिले

लख चौरासी माय

गुरू सेवा चरण बन्दगी

फेर मिलन की नाय


गुरू बिन भव निधि तरय न कोई

जो विरंचि शंकर सम होई


यह तन विष की बेलरी

गुरू अमृत की खान

 शीश दिये जो गुरू मिलैं तौ भी सस्ता जान


श्री गुरू चरन है चन्द्रमा  सेवक

 नयन चकोर

अष्ट प्रहर निरखत रहूं

श्री गुरू चरनो की ओर


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693


शक्ति के पूजन के बाद चढाये हुये भोग , सामग्री का क्या करें

 


साधकों का एक सवाल हमेशा रहता है की साधना के या नित्य पूजन के बाद देवताओं को चढ़े हुए 

भोग का बाद में क्या करना है ? तो आज में इस पोस्ट के माध्यम से यही बताना चाहता हूं 

की आपको चढ़े हुए भोग का क्या करना है 


साधना और पूजन में जिस मिठाई के पीस को या बताशे को 

देव , देवी, परी, अप्सरा , प्रेत आदि को चडाते है तो 

उसे दूसरे दिन किसी पंछी को , गाय को , कुत्ते को खिलादें , 

किसी बिना पानी के कुये मे , किसी चलती नदी मे बहा देना चाहिये 

ये उस पीस की बात हो रही है जिसे चढाया जाता है 

चडाये हुये पीस को खाया नही जाता है 


याद रखें देव साधना मे जैसे हनुमान , काली , भैरव ,शिवजी आदि के जाप पूजन साधना में जब काफी अधिक यानि एक पीस से अधिक मिठाई का भोग लगाते है तो उस मिठाई को पूजा जाप के बाद घर परिवार मे बच्चो को प्रसाद रूप मे बॉट सकते है 

या स्वंय खा सकते है 

भूत , प्रेत,  यक्षणी , जिन्न , परी आदि को चडाये भोग नही खाये जाते है 

अन्य पूजन सामग्री जैसे इत्र का फाया , पुष्प , रोली , कलावा आदि सामग्री किसी बहते पानी मे डाल दें 

या किसी अन्य स्थान पर डाल दें या इकट्ठा करके दस बारह दिन मे डाल सकते है


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693