Wednesday, September 06, 2023

तंत्र की शुरुआत कैसे करें ?/ Tantra Ki Shuruaat ?

 


तंत्र प्रारंभ केसे करें या क्या क्या करना है

दीक्षा लेने के बाद साधकों के सवाल होते हैं की गुरुजी हम शुरूआत केसे करें 

इस लेख के माध्यम से में साधकों को बताऊंगा की आपको प्रारंभ करना केसे है


सभी नये साधको के लिये हम तीन कार्य करने को देते है जो बेसिक मे आते है 

बेसिक होने के बाद आप जो चाहो वो साधना सम्पन्न कर सकते है अपनी क्षमता के आधार पर


ये तीन काम निम्न है 

1 :. गुरूमंत्र करना

2 :. पंचोपचार पूजन करना 

3 :. कवच किलन सिद्ध करना


ये तीन काम आपको एक महीने मे पूरे कर लेने है 

1.  गुरूमंत्र

जो दिव्य मंत्र गुरुमुख से तुम्हारे कान में फूंका जाता है  वो तुम्हारा गुरूमंत्र है उसका दो घन्टे तक मानसिक जाप करना है 

( गौतम बुद्ध की तरह )


ये जाप कही भी, कभी भी कर सकते है 

गुरूमंत्र हमेशा गुप्त रखा जाता है 

किसी को भी नही बताया जाता 

वेसे तंत्र का प्रथम नियम यही है कि इसे पूरी तरह से गुप्त ही रखा जाता है 


2.  प्राथमिक पूजन

आपको अपने घर मे प्रतिदिन गुरू, गनेश, इष्ट ,कुलदेव, पितरो, स्थानदेव  का पंचोपचार पूजन करना है 

हो सके तो सुबह शाम नही तो एक समय पूजन देना अनिवार्य है 

जिसके पितर , कुलदेव देवी मनी हुयी है उसकी साधना सफल हो जाती है 

इसलिये सबसे पहले इने मनाया जाना बहुत जरूरी है 


3. कवच, कीलन सिद्ध करना

समय पर दिये गये रक्षा मंत्र सुरक्षा मंत्रो को सिद्ध करना है जितने हो सके कवच मंत्रो को सिद्ध करे 

ताकि आपको और आपके परिवार को  कभी कोई खतरा ना रहें 

जितने कवच आप सिद्ध करोगे आपकी शक्ति उतनी ही बढ जायेगी 

वक्त वे वक्त ये रक्षा सुरक्षा मंत्र आपके काम आयगे 

ये सुरक्षा मंत्र आपके शत्रुओ से आपकी रक्षा करेगे और बहुत कुछ करेगे 


ये बातो का आपको पालन करना है 

ये तीन कार्यों को नियमित पूर्ण करने से आप तंत्र में आगे बढ़ते जाओगे 

इसके बाद आप जो चाहोगे वो साधना कर सकते हो निसन्देह सफलता मिलेगी 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

पंचोपचार पूजन क्या है ?/ Panchopchar Pujan Kya hai ?

 

पंचोपचार पूजन 

कुछ साधक पंचोपचार पूजन क्या है इसे समझ ही नही पाते और बिना पूर्ण जानकारी के साधना करने से लाभ भी नही प्राप्त होता तो इसी दुविधा को दूर करने के लिए मैं आप सभी को तंत्र के सर्वाधिक प्रयोग होने वाले पंचोपचार पूजन के बारे में बताने जा रहा हूं ताकि आपकी दिक्कत खत्म हो !

घर, मंदिर, विशेष अनुष्ठान, समय और परिस्थिति के अनुरूप हम छोटी या बड़ी पूजा पद्धति के साथ भगवान की पूजा करते हैं. शास्त्रों में पूजा के कई प्रकार बताए गए हैं. पूजा के लिए मुख्यत: पंचोपचार, दशोपचार और षोडशोपचार इन तीन विधियों  का पालन किया जाता है.


लेकिन मैं यहां आपको केवल पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन के बारे में बताऊंगा 

जिस पूजन में पॉच पदार्थों द्वारा देवता की पूजा की जाती है उसे पंचोपचार पूजन कहते है

1 अगर बत्ती लगाना या धूप जलाना
2 दीपक जलाना
3 चंदन ,या सिन्दूर या इत्र लगाना
4 भोग में मिठाई ,बताशा या पकवान देना
5 जल देना

ये सब देते है तो पंचोपचार पूजन कहलाता है यही सब पूजन में मुख्य होता है

ये प्रत्येक पूजन पाठ जाप साधना में जरूरी है

वेसे इसके साथ देवता का आवाहन ,उसे स्थान देना
पैर धोना ,वस्त्र देना ,फिर ये पंचोपचार पूजन किया जाता है


षोडशोपचार पूजन

सोलह पदार्थों से पूजन करने को षोडशोपचार पूजन कहते है

इसमें देव को बुलाना ,आसन देना ,पैर धोना ,या नहलाना ,वस्त्र देना , चंदन देना ,सिन्दूर , धूप ,दीप ,पुष्प चढाना ,फल ,नैवेध,जल ,ताम्बूल , प्रार्थना , विसर्जन आदि ये सब करते है


लेकिन सबसे मुख्य वही पंचोपचार पूजन किया जाता है

भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693