चंद्रा अप्सरा परिचय
यह 4 सहायक अप्सराओं के समूह में रहती हैं
यह बहुत सुंदर दिखने वाली है
इसके बाल सदैव खुले रहते है
ये पत्नी, प्रेमिका ,और बहन के रूप में सिद्ध होती हैं
सिद्ध होने के बाद ये साधक को राजयोग जीवन देती हैं
इसके साधक को कभी भी धन का अभाव नही होता
तेजवान ,गुणी, बुद्धिमान बनाती हैं
सम्मोहन व वशिकरण में माहिर होती हैं
ये दूसरों के मन की बात जानने में निपुण होती हैं
ये अपने साधक को कभी भी दुखी नही देख सकती
इसके साधक में से मनमोहन सुगंध आती हैं
धन की रुकावट दूर करती हैं
शत्रुओं को भी मित्र बना देती हैं
विधान
दिन पूर्णिमा या चंद्र ग्रहण
इसका पूजन सफेद वस्त्र पहनकर करते है
उत्तर मुख , सफेद आसन, सफेद मिठाई केसर युक्त, मीठा शर्बत, मीठा दूध भोग में दें
सामने सफेद आसान पर चावल की ढेरी बनाकर उसपर भोजपत्र पर मंत्र को केसर से लिखकर रखें
सुगंधित अगरबत्ती , घी का दीपक, सफेद फूल, और माला से पूजन करें
गुरु, गणेश, ईस्ट, स्थान देव, इन्द्रदेव ओर अप्सरा का पूजन
फिर मोति या स्फेटिक माला से **** माला का जाप करें
जाप के बाद वही सो जाएं 3 दिन लगातार करनी है
तीसरे दिन जब अप्सरा प्रत्यक्ष आये तो उसका स्वागत गुलाब के फूलों से करें
वचन ले लें
मंत्र
ऐं *********। *********। ********। ******* नमः
( पूर्ण मंत्र जानने के लिए दिए गए नम्बर पर संपर्क करें )
भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी
वैदिक तंत्र साधना संस्थान
8923400693
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