तंत्र एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर मनुष्य को एक अजीब सा डर होने लगता है
समाज में तंत्र को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिससे लोग डरते हैं लोग समझते हैं तंत्र केवल लोगों का और समाज का अमंगल ही करता है ऐसा नहीं है गुरुजी उद्देश्य लोगों में तंत्र के प्रति फैलने वाली भ्रांतियां को तोड़ना है तंत्र से होने वाले जनकल्याण को समाज के लोगों को बताना है
वीरेंद्र जी की बाल्यकाल से ही तंत्र-मंत्र व यंत्र के प्रति रुचि रही है
लगभग 10 वर्ष की आयु से ही इन्होंने अपने ईष्ट को गुरु मानकर कई दुर्लभ साधनाएं संपन्न की हैं
उसके बाद भैरव वीरेंद्र जी को पूज्य श्री हरेश गुरु जी का सानिध्य प्राप्त हुआ पूज्य हरेश गुरु जी ने ईस्ट मंत्र द्वारा वीरेंद्र जी की दीक्षा संपन्न की दीक्षा के बाद वीरेंद्र जी ने पूज्य हरेश गुरु जी के सानिध्य में कई साधना संपन्न की
वह उज्जैन के विक्रांत भैरव शमशान , चक्रतीर्थ शमशान , तारापीठ शमशान, गुवाहाटी के भूतेश्वर शमशान , कोलकाता के कालीघाट शमशान में अनेक प्रकार की साधना संपन्न की और अपनी शक्तियों का विस्तार किया
पूज्य हरेश गुरु जी द्वारा अघोर दीक्षा संपन्न करके दुर्लभ शमशान भैरव साधना पूर्ण की इसी वजह से पूज्य गुरुदेव द्वारा भैरव उपाधि प्रदान की गई
और तंत्र जगत में एक नया नाम भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरी हुआ जो की तंत्र शक्ति द्वारा समाज कल्याण व परोपकार के कार्य वह आज भी कर रहे हैं
और तंत्र मार्ग में आगे बढ़ रहे हैं तथा समाज को तंत्र के प्रति जागरूक कर रहे हैं
भैरव वीरेंद्र जी आज भी साधकों को तंत्र दीक्षा देकर तंत्र ,मंत्र, यंत्र ,ज्योतिष ,सिद्धि साधनाओ का अध्ययन करा रहे हैं
वह समाज की तंत्र के लिए जो गलत सोच है उसे बदलने का कार्य कर रहे हैं
हमारे इस ब्लॉक का यही उद्देश्य है की समाज में तंत्र के प्रति जो गलत धारणा है उसे तोड़ना और समाज को सत्यता से अवगत कराना व तंत्र के जिज्ञासु साधकों को सच्चा और बेहतर तंत्र सीखना है
भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरी
वैदिक तंत्र साधना संस्थान
8923400693
आपकी लीला अपरम्पार है गुरूजी हमारा नसीब है की हम आपके शिष्य है जय अघोर रुद्रनाथ वीरेंद्र जी
ReplyDeleteHi
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