साधकों का एक सवाल हमेशा रहता है की साधना के या नित्य पूजन के बाद देवताओं को चढ़े हुए
भोग का बाद में क्या करना है ? तो आज में इस पोस्ट के माध्यम से यही बताना चाहता हूं
की आपको चढ़े हुए भोग का क्या करना है
साधना और पूजन में जिस मिठाई के पीस को या बताशे को
देव , देवी, परी, अप्सरा , प्रेत आदि को चडाते है तो
उसे दूसरे दिन किसी पंछी को , गाय को , कुत्ते को खिलादें ,
किसी बिना पानी के कुये मे , किसी चलती नदी मे बहा देना चाहिये
ये उस पीस की बात हो रही है जिसे चढाया जाता है
चडाये हुये पीस को खाया नही जाता है
याद रखें देव साधना मे जैसे हनुमान , काली , भैरव ,शिवजी आदि के जाप पूजन साधना में जब काफी अधिक यानि एक पीस से अधिक मिठाई का भोग लगाते है तो उस मिठाई को पूजा जाप के बाद घर परिवार मे बच्चो को प्रसाद रूप मे बॉट सकते है
या स्वंय खा सकते है
भूत , प्रेत, यक्षणी , जिन्न , परी आदि को चडाये भोग नही खाये जाते है
अन्य पूजन सामग्री जैसे इत्र का फाया , पुष्प , रोली , कलावा आदि सामग्री किसी बहते पानी मे डाल दें
या किसी अन्य स्थान पर डाल दें या इकट्ठा करके दस बारह दिन मे डाल सकते है
भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी
वैदिक तंत्र साधना संस्थान
8923400693
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद गुरु देव
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