Tuesday, November 07, 2023

दीपावाली लक्ष्मी, कुबेर पूजन विधि/ Dipwali Lakshmi Kuber Pujan Vidhi

 


दीपावली पर लक्ष्मी कुबेर पूजन केसे करें 


दीवाली की रात सभी लोग माता लक्ष्मी, कुबेर ,श्री गणेश जी का पूजन करते ही है

यदि उस पूजन को थोडा विधिवत तरीके से किया जाये तो उस पूजन का आपको पूरा फल मिलेगा और 

वर्ष भर आपको माता लक्ष्मी की कृपा मिलेगी 

बिगडे काम बनेगे धन आगमन का स्त्रोत खुलेगा 


पूजन विधि 

सबसे पहले बाजार से जाकर लक्ष्मी, कुबेर, गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर लेकर आये 

( गणेश जी की मूर्ति में उनकी सूंड का घुमाव उनके दाहिने हाथ की ओर हो )

या जो घर मे पहले से मौजूद है तो उसी को सामने स्थापित कर लें 


गणेश जी माता के दाएं ओर स्थापित करें ओर कुबेर जी को बांए ओर

लाल आसन पर बैठकर सबसे पहले गुरू जी पूजन करें 

उसके बाद श्री गणेश जी का आवाहन करें 

आवाहन के बाद उनका पंचोपचार पूजन करें 

हरी दूब चडाये, केसर मिलाकर खीर व पूडी का साथ मे लड्डू का भोग दें 

और उनसे कृपा पाने के लिये प्रार्थना करें 

फिर श्री कुबेर जी का आवाहन करें उनका पंचोपचार पूजन दें 

मिठाई , खीर, पूडी पकवानो का भोग दें 

धन प्रदान करने के लिये प्रार्थना करें कार्य व्यवसाय चलाने के लिये प्रार्थना करें 

इसके बाद माता लक्ष्मी का आवाहन करें पचोपचार पूजन दें 

केसर मिलाकर खीर, पूडी का भोग दें 

( माता को भूल कर भी दूब नही चडाये नही तो माता क्रोधित हो जाती है )

दूब केवल गणेश जी को चढानी है 

ये नार्मल पूजन की विधि है इसे सभी साधक ग्रहस्थ ,स्त्री ,पुरूष कर सकते है 

आप माता लक्ष्मी के पूजन के लिये केसर , चंदन , रोली चावल , कमलगट्टे घी के दीपक , 

जावित्री , लौग कपूर , बताशे , नारियल , पंचमेवा , आदि का प्रयोग भी कर सकते है 

या इनमे से जो वस्तु मिल जाये वो भी आप चढा सकते है 


हवन के लिये कम से कम 1 - 1 माला दोनो मंत्रों का हवन करें

कमलगट्टा ,घी या तिल का तेल , आम पीपल की लकडी की समिधा का प्रयोग करें , 

गणेश लक्ष्मी का मंत्र

ॐ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी च वक्रतुण्डाय सर्वसौभाग्य 

ऐश्वर्य देहि देहि महालक्ष्मी महालक्ष्मी क्लीं श्रीं ॐ 


श्री कुबेर मंत्र

 ॐ यक्षाय कुबेराय वैष्णवाय धन - धान्य समृद्धिं मे देहि देहि कुबेराय नमः


इस मंत्र का जितना हो सके जाप करें 

5, 7, 11 माला 21 माला जितना हो सके करें 

अधिक का अधिक फल होता है 


भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरीपु

पुष्पा देवी ज्योतिष व तंत्र मंत्र शक्ति साधना फाउंडेशन®

Youtube :- वैदिक तंत्र साधना संस्थान

मो :- 8923400693

Friday, October 27, 2023

चंद्र ग्रहण 2023 समय, सूतक काल व साधना की जानकारी

 

चंद्र ग्रहण 2023


साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 28 और 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगने जा रहा है. 

साथ ही इस दिन शरद पूर्णिमा भी है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण लगना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. 

इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण आंशिक होगा.  

2023 के आखिरी चंद्र ग्रहण को लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं 

कि क्या ये चंद्र ग्रहण भारत में दिखेगा और आखिर क्या इसका समय होगा. चलिए जानते हैं. 


भारत में 28 अक्टूबर को लगेगा चंद्र ग्रहण

इस महीने 28-29 अक्टूबर की रात में लगने वाला चंद्र ग्रहण पूरे भारतवर्ष में दृष्टिगोचर होगा. 

वैसे तो 28 अक्टूबर की रात 11.30 बजे से चांद पर हल्की छाया पड़ना शुरू हो जाएगी. 

हालांकी सूतक काल इसके हिसाब से नहीं बल्कि गहरी छाया पड़ने के 9 घंटे पहले ही माना जाता है.

29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा 

यानी ये एक घंटा 19 मिनट का होगा. ग्रहण का आरंभ मध्य रात्रि 1 बजकर 5 मिनट, मध्य 1 बजकर 44 मिनट 

और ग्रहण का मोक्ष 2 बजकर 40 मिनट पर होगा. 


चंद्र ग्रहण के सूतक काल की समय

28-29 अक्टूबर को खंडग्रास चंद्र ग्रहण चूंकि रात 1 बजकर 5 मिनट पर लग रहा है 

इसलिए इसका सूतक काल 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 05 मिनट से लग जाएगा. 

यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखेगा देगा


*चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023* 

यह चंद्र ग्रहण भारत मे दृश्य है इसलिए सूतक काल मान्य होगा 

 *ग्रहण 28 की रात 11:30 से लगेगा* 

 *मुख्य चरण 29 रात्रि 1 :05 से शुरू होकर रात्रि 02 :24 मिनट तक रहेगा* 

 *ग्रहण समाप्त रात्रि 02 :40 पर होगा* 

 *सूतक काल समय :-* 9 घंटे पहले से यानी 28 को शाम 4 :05 मिनट से ग्रहण समाप्ति तक


इस ग्रहण में कोई भी सप्सरा या यक्षणी साधना जल्दी सिद्ध होती है

इसलिए मैने इस बार साधकों के लिए अपने टेलीग्राम निशुल्क ग्रुप में चंद्रा अप्सरा साधना दी है 

साधक 28 की रात्रि 11:30 बजे से अपनी साधना आरंभ कर सकते हैं 

पूरी जानकारी हमने वीडियो में भी दी है आप देख सकते है 

https://youtu.be/H-MNNlqgth4?si=ubGO0OIdwln_IYTL





भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693


Saturday, October 14, 2023

नवरात्रि में माता लक्ष्मी करेंगी धन की बरसात / Navratri main Dhan ki Barshat


 

नवरात्रि के 9 दिन करें ये उपाय तो पूरी साल धन संबंधित समस्या नही रहेगी


जैसी की देवी पुराण में वर्णित है कि इस बर्ष माता हाथी पर सवार होकर गजवाहिनी रूप में आएंगी

आपको नवरात्रि के प्रथम दिन एक लाल वस्त्र पर चावल की ढेरी बनाकर उसपर श्री यंत्र स्थापित करना है 

उसके चारों कोनों पर एक एक गुलाब का फूल रखें मध्य में एक एक सुपारी रखें

अब माता दुर्गा का पूजन करें ,माता को श्रृंगार चढ़ाए, चुनरी उड़ाएं 

भोग में एक पान, पंचमेवा, सुपारी, बूंदी लड्डू, एक लांग का जोड़ा बतासे सहित दें


अब माता लक्ष्मी का आवाहन करें श्री यंत्र पर उनका पूजन करें 

हल्दी रोली से पैर पूजे, साबुत हल्दी व धनिया, कमलगट्टे, समुद्री झाग व 5 कोड़ी अर्पित करें ये माता को अधिक प्रिये है

भोग में केसर व मखाने की खीर दें 

सदैव घर मे निवास करने की प्रार्थना करें

कपूर से आरती करें आरती को घर मे मुख्य गेट पर अवश्य दिखाएं


अब अगले दिन से केवल पूजन करें भोग लगाएं, ओर एक सुपारी दें 

आरती करें ये क्रम 9 दिन करें 

दशहरे वाले दिन सुबह सारी सामग्री को उस लाल कपड़े में बांधकर पोटली बना लें 

ओर जहां भी आप धन रखते हो वहां रख दें व यंत्र को पूजा स्थान में रख दें नित्य पूजन करें


आप चमत्कारी रूप से देखोगे की आपके धन के मार्ग खुलने लगेंगे

व्यापार में व्रद्धि होने लगेगी माता लक्ष्मी की कृपा आपको मिलने लगेगी


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

Friday, October 13, 2023

शारदीय नवरात्रि 2023 प्रमुख तिथियां / Shardiyan Navratri 2023 dates

 

नवरात्रि 2023 हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. 

मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है. जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. 

इस बार नवरात्रि की शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी। 

23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी. 

वहीं 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा.


शारदीय नवरात्रि मे कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

 पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 तक है. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 46 मिनट ही रहेगा.

घटस्थापना तिथि:  रविवार 15 अक्टूबर 2023

घटस्थापना मुहूर्त:  प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08:47  मिनट तक

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक (अभिजित मुहूर्त में देवी की स्थापना सबसे शुभ मानी जाती है)

देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि 

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। 

गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता. 

इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है.

अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी.

शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं.

गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं.

बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.


शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां

15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि

16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि

17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि

18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि

19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि

20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि

21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि

22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          

23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण

24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

Friday, September 29, 2023

पितृ पक्ष पर करने योग्य उपाय / Pitr Kripa ke Upay

 


इस बार पितृ पक्ष 17 सितम्बर पूर्णिमा से आरंभ हो रहे हैं

आप सभी इन 16 दिनों मेमापने पितरों का पुजन्नोर उनका आशीर्वाद पा सकते है

नियमानुसार जिस तिथि को परिजन की मृत्यु हुई है इस तिथि को पितृ पक्ष में उनका पिंडदान व तर्पण करना चाहिए ताकि वह संतुष्ट हो सकते हैं और आपको आशीर्वाद दे सकें 

लेकिन कभी-कभी हमें अपने पूर्वजों की तिथियां याद नहीं रहती तो इसके लिए बताए हुए विधि अनुसार आप तर्पण पूजन कर सकते हैं उससे भी आपको लाभ होगा


कुछ प्रमुख तिथियां का वर्णन में यहां कर रहा हूं

नवमी तिथि को सुहागन स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है

द्वादशी तिथि को साधु संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है साथ में इनका श्राद्ध पूर्णिमा को भिंक्या जाता है 

चतुर्दशी तिथि को अकाल मृत्यु में गुजरे हुए का श्राद्ध किया जाता है

अमावस्या तिथि को सभी प्रकार के पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती है

पूर्णिमा तिथि को गुजरे हुए सभी पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को किया जाता है साथ में अमावस्या को भी यह श्राद्ध किया जाता है

यहां मैं आपको कुछ मंत्रों की जानकारी दे रहा हूं पितृ पूजन के साथ इनके जाप करने से आपके पितृ संतुष्ट होंगे वह आपके आशीर्वाद देंगे

पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे 

जगत धारिणी धीमहि 

तन्नो पितृो प्रचोदयात्।


पितृ गायत्री मंत्र अकाल मृत्यु वाले पूर्वजों के लिए 

ॐ आद्य-भूताय विद्महे 

सर्व-सेव्याय धीमहि। 

शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।


सर्व पितृ दोष नाशक मंत्र

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। 

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।


कुछ उपाय करेंगे आपका कल्याण 

पूर्ण पितृ पक्ष सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्य देव को काले तिल डालकर जल अर्पित करें। 

इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें, इससे मानसिक शांत प्राप्त होगी। 

पितृ पक्ष में पेड़-पौधे को लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है, इससे ग्रह दोष भी दूर हो जाता है। 

पूर्ण पितृ पक्ष तिथि अनुसार अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। 

पूर्ण पितृ पक्ष शिव मंदिर में पूजा करें, इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। 

पितृ पक्ष में अपने पितरों के निमित दान देने से पितर प्रसन्न होते हैं, वंश को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं।


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

Tuesday, September 26, 2023

सूतक/ पातक के नियमित दिन/ Sutak Patak ke Din


सूतक/ पातक के नियम व दिन

हमारे यहॉ यदि किसी की मृत्यु होती है तो उस समय सबसे बडा सवाल ये होता है 

कि सूतको मे पूजा पाठ किया जाये या नही तो आज इसके बारे में मै विस्तार से बताता हू


परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर मरण सूतक लगता है

इसमें पूरे 13 दिन तक कोई भी किसी तरह का पूजा पाठ नही किया जाता है

परिवार का सदस्य यदि कही बाहर है चाहे हजारो किलोमीटर दूर रहता हू तब भी परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर उसे 13 दिन तक पूजा पाठ बन्द करनी होगी


परिवार मे किसी के यहॉ किसी बच्चे के जन्म लेने पर जनन या जन्म सूतक लगता है

ये तब तक माना जाता है जब तक बच्चे का नामकरण नही हो जाता या ब्राह्मण भोजन नही हो जाता

यदि बच्चे को मूल आयी है तो जब तक बच्चे की मूल शान्ति नही होती नामकरण नही होता तब तक सूतक माना जाता है

तब तक पूजा पाठ बन्द रखा जाता है


बेटी के यहॉ के सूतक मॉ पिता को एक दिन का लगता है केवल

गर्भपात होने पर एक दिन का  सूतक लगता है

बच्चे के जन्म लेने के कुछ दिन बाद बच्चे की मृत्यु होने पर जितने माह का बच्चा होता है उतने दिन सूतक लगते है


एक साल के बच्चे की मृत्यु पर पूरे 13 दिन सूतक माना जाता है


सूतक काल मे कोई भी साधना सुरू नही की जाती

यदि पहले से कोई साधना करते आ रहे है तो यदि वो रेगुलर रखना चाहते है या रख सकते है

मृत्यु किसी खास की नही हुयी है तो साधना रेगुलर रखी जा सकती है

पहले से सुरू की हुयी साधना रेगुलर चल सकती है कोई दिक्कत नही होती

उग्र साधना कभी भी किसी कारन से बीच मे नही छोडी जाती नही तो स्वंय की जान को खतरा होता है


स्त्री साधिका के मासिक धर्म के दौरान चार दिन साधना बन्द रखी जाती है

चार दिन बाद साधना रेगुलर रखी जाती है

इन सभी सूतको के दिनो मे साधक साधिका मेरे दिये गुरूमंत्र का मानसिक जाप कर सकते है

मानसिक जाप कभी भी खन्डित नही होता ना ही कभी अपवित्र होता है


ये कुछ बाते साधना के दौरान याद रखने योग्य है सभी साधक साधिका को ये नियम पता होने चाहिये


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

पितरो की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने का अचूक उपाय / Pitr Kripa Prapt karne ka Upay

 


पितरो की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने का अचूक उपाय


पितरो को प्रसन्न करने का पितर पक्ष से उत्तम कोई समय नही है

( मुझे ये प्रयोग अपने पूज्य गुरुदेव से प्राप्त हुए है जो मै आज आपको दे रहा हूं)

पितरो को प्रसन्न करने के लिये दो प्रयोग करता और करवाता रहा हू


किसी अन्य उपाय की अपेक्षा ये उपाय तीव्र काम करता है इसमे कोई पूजा पाठ का झंझट नही है 

ये सीधा पितरो से सम्बन्धित है धन हानि , बनते बनते काम बिगडजाना , पारिवारिक कलह , मन अशान्त रहना , 

धन का अत्यधिक व्यय होना  , संतान बाधा आदि मे  मेने इन प्रयोगो का सफल प्रयोग किया है

आप भी ये प्रयोग करे और लाभ उठाये बहुतो को लाभ मिला है तुमे भी मिलेगा तुम करकै देखो तो सही

विश्वास से तो भगवान भी मिल जाते है

ये प्रयोग पूरे पितर पक्ष किया जाता है

सुबह चार बजे जागकर मुख्य द्वार के बाहर थोडी सी जमीन पर झाडू लगाये और फिर वहॉ पानी से छिडकाव करे

घर की स्त्री मुख्य द्वार पर एक लोटा पानी का अर्घ्य दे

(  इतनी क्रिया आप प्रतिदिन जीवन भर कर सकते है केवल इसी से पितर कृपा मिलने लग जाती है )


फिर नहा धोकर खीर पूडी  बनाये बन जाने के बाद पुरूष एक दोने मे खीर पत्तल मे पूडी सब्जी रखे 

पानी गिलास मे लेकर छत पर जाये

दक्षिण दिशा की ओर मुह करके बैठे

सामने आसन लगा दे उसके सामने पत्तल रखे

फिर हाथ मे चावल के दाने लेकर पितरो का आवाहन करे

फिर उने आसन पर बैठने के लिए कहकर चावल आसन पर डाल दे


फिर उने खीर पूडी सब्जी का भोजन कराये

दस बारह मिनट वहॉ बैठे रहे और मानसिक प्रार्थना करे

फिर पितरो को प्रणाम करके उनसे मानसिक आशिर्वाद ले


कुछ पूडी कौआ , गाय ,कुत्तो को खिलाकर स्वय भोजन करे और दैनिक कार्य करे

इतनी सी क्रिया आप प्रतिदिन पन्द्रह दिनो तक करते रहे

इन पन्द्रह दिनो मे ही आपके घर मे बदलाव हो जायेगा

पितर प्रसन्न होगे

ये क्रिया आप अमावस्या को भी दोहरा सकते है किसी खास शुभ दिन मे भी ये कर सकते है

आपको इससे लाभ मिलेगा बिगडे काम बनेगे

घर मे रौनक आयेगी मन शान्त होगा


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

अनजानी शक्ति से छुटकारा प्रयोग / Anjani Shakti Se Chutkara


अनजानी शक्ति से छुटकारा प्रयोग 


प्रिय साधक मे आज आपको एक छोटा सा लेकिन तीव्र काम करने वाला प्रयोग बता रहा हूँ

यह प्रयोग घर मे आई छोटी मोटी अनजानी शक्ति को नष्ट कर देगा

घर के पितरो को व कुलदेव या कुलदेवी को शक्ति देगा


जिनके पितर रूठे है वे भी इसे कर सकते है

इस प्रयोग को गुप्त रखना है करते समय कोई टोके नही 

वैसे तो यह एक बार ही किया जाता है लेकिन आप उसे सात मंगलवार या हर अमावस्या पर कर सकते है

इससे पितर दोष मे काफी आराम मिलता है उनकी शक्ति में वृद्धि होती है 


मंगल वार को शाम को जब रात का कुछ कुछ अंधेरा फैल रहा हो तो एक बूंदी का लडडू ले और उसे घर के बाहर (मैन गेट ) देहरी के पास बैठकर घर मे आई किसी बाहरी शक्ति या उपरी हवा के नाम से रख दे 

एक अगरबत्ती लगा दे और बोले कि हे देव मे आपको भोग दे रहा हूँ इसे स्वीकार करे और इसे लेकर यहॉ से हमेशा के लिये चले जाय

ध्यान दे कि अगर बत्ती एक ही लगाये

फिर देहरी के अंदर बैठ जाये वहॉ भी एक बूंदी का लडडू रखें और दो अगर बत्ती लगाये

 अपने घर के सभी पितर , देवी देवता के नाम ले और बोले कि हे देव मे आपको भोग दे रहा हूँ आप इसे स्वीकार करे

 मेरे ऊपर कृपा करे घर मे आई हुयी इसे या किसी भी बाहर की शक्ति को अंदर मत आने देना

प्रणाम करे और वहॉ से उठ जाये

इस प्रयोग को साधारण मत समझना ये बहुत चमत्कारी है


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

Monday, September 11, 2023

शक्ति से तीन वचन लेना / Shakti Se Teen Vachan Lena

 


शक्ति से तीन वचन कैसे और क्या ले ?

तीन वचन


कुछ साधक साधना करते है तो उनकी साधना जब सफल होती है 

तो उने समस्या होती है कि देव के प्रत्यक्ष होने पर क्या करे

आज मे बताता हू कि देव से किस प्रकार वचन लिये जाते है

साधना  के अन्तिम दिन विशेष तैयारी करनी चाहिये, चाहे साधना किसी की है

गुलाब के फूलो की माला अवश्य अपने पास रखे


देव के प्रत्यक्ष होने पर डरें नही

देव हमेशा जाप पूरा होने से पहले ही प्रत्यक्ष हो जाते है और कभी कभी कुछ समय भी लेते हैं 

लेकिन जब तक जाप पूरा ना हो जाये हमें आसन नही छोडना है चाहे जो हो जाये

जाप पूरा होने के बाद उठकर उन्हें प्रणाम करे

कभी कभी किसी कारण से देव प्रत्यक्ष न हो तो माला का जाप उस रात बढा देना चाहिये तब तक जब तक देव प्रत्यक्ष न हो

देव के आने पर माला गले मे डाल दें

जब वो पूछे कि क्या चाहिये या मे क्या काम करू या मेरे लिये क्या आज्ञा है या मुझे क्यो याद किया है तो उससे कहे  


पहला वचन - कि मै जब भी, जैसे भी, जहाँ भी आपको याद करू तो आपको आना होगा 

तब वह देव कहेगा कि मे अमुक मंदिर या किसी अन्य विशेष जगह पर नही आ सकता 

तो आप समझ कर हॉ करे नही तो उससे कुछ और शर्ते लगा कर हॉ करे


दूसरा वचन - कि मे जिस कार्य को कहू वो पूरा करे

तब वह देव कहेगा कि ठीक है लेकिन मे गलत काम या अमुक नही करूगा

तब उससे कह दे कि गलत कार्य आ पडा जरूरी हो तो आपको करना होगा

लेकिन मे नार्मल नही करवाउगा फिर जैसे सैदा हो जाये


तीसरा वचन- कि किसी कारण चाहे कोई गलती हो तुम मुझे या मेरे परिवार को किसी भी तरह से परेशान नही करोगे,  

डराओगे नही सताओगे नही और सदैव रक्षा करोगे


इस प्रकार आपको तीन वचन किसी भी शक्ति से लेनी होते है 

समय और शक्ति के अनुसार वचनों में बदलाव भी किया जाता है जो की साधक के बुद्धि विवेक पर निर्भर करेगा

यदि कुछ समझ न आए तो आप मुझे कॉल भी कर सकते हो 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

इस्लामिक पूजन पद्धति / Islamik Pujan Padhiti

 


इस्लामिक पूजन पद्धति 


आज मे आपको मुस्लिम पूजन की विधि बता रहा हू मुस्लिम तरीके हिन्दू तरीके से काफी अलग है

मुस्लिम साधनाओं के असफल होने का एक मुख्य कारण ठीक से पूजन न आना भी है

साधक को चाहिए कि वह पूरी इस्लामिक साधना को बज्रासन में ही करें न की शुखासान में

यदि ना बैठा जा रहा हू तो सुखासन मे ही कर लें अगर हो सके तो पूजन को वज्र आसन मे कर लें 

जाप के समय सुखासन मे बैठ जायें 


पूजन विधि 

पूजन के लिये सबसे पहले नहा धोकर या वजू करके आसन पर बैठे 

( बजू यह एक मुस्लिम तरीका है अपने शरीर को शुद्ध करने का जैसे हिंदुओं में पवित्रीकरण)

 इनमें सबसे पहले अपने उस्ताद यानि गुरू की पूजा करें 

 फिर मोहम्मद साहब का पूजन करें 

 फिर जिस पीर फकीर को मानते हो उसकी पूजा करें फिर 

 सरजमीं के सभी बुजुर्गों ( पितरों ) की पूजा करें , फिर स्थान देव की पूजा करें 

 इनकी साधना पूजन हमेशा हरे रंग के आसन पर बैठकर करें 

पहनने के वस्त्र सफेद रहते है ये साधना हमेशा पश्चिम मुख होकर करते है 

मुस्लिम साधना वज्र आसन पर बैठकर जल्दी फलित होती है

कुछ विशेष साधनाओ को छोड़कर सामने घी का दीपक जला लें , पॉच अगरबत्ती लगा लें 


इन साधनाओ और पूजन , जाप मे संकल्प नही लिया जाता 

सबसे पहले गुरू का पूजन करें  पंचोपचार हिन्दू तरीके से

 इसके बाद मोहम्मद साहब का , पूजन करना है मुस्किल तरीके से 

यदि कोई पीर फकीर घर मे पूजा जाता हो तो उसका पूजन किया जाता है 

 फिर शक्ति को बुलाया जाता है याद रखना नार्मल बोलकर बुलाते है ( संस्कृत में आवाहन नही करते )

 उसका पूजन दिया जाता मुस्लिम साधना पूजन मे पुस्प और इत्र सुगन्धित वस्तु अधिक प्रयोग करना चाहिये 

 माला बाये हाथ से घुमायी जाती है अंदर से बाहर की ओर 


पूजन विधि मुस्लिम तरीका 

नहा धोकर आसन पर वज्रआसन पर बैठे सबसे पहले दीपक जला ले अगरबत्ती जला ले या लोभान जला लें 

फिर जिसकी पूजा देनी है उसे केवल बुला लें उनके आने पर उनके हाथ चूमें पैर नही छुये जाते बैठने को कहें 

पैर नही धोये जाते कलावा नही दिया जाता चावल नही दिये जाते इत्र का फॉया दें 

पुष्प फूल दें चंदन सिन्दूर का प्रयोग नही किया जाता है 

 अगरबत्ती दें चिरागी दें ( दीपक ) चिरागी हमेशा घी की लगाये लोभान अगरबत्ती दें

 मिठाई का या बताशे का भोग दें पीने को पानी दें और 

हाथ उठाकर उनसे दुआ मॉगे कि मेरी पूजा , साधना सफल हों 

ऐेसा केवल जो मुस्लिम देव है उनके पूजन मे करें

हिन्दू देवो के पूजन को पंचोपचार हिन्दू तरीके से ही करें

 मुस्लिम साधना वज्र आसन पर बैठकर जल्दी फलित होती है

 समस्त क्रिया करने से पहले बिसिमिल्ला बोलना अनिवार्य होता है 

 सफेद जालीदार बनियान सिर पर टोपी हो ना हो तो सफेद रूमाल से सर ढक लें नीचे तहमद पहना हो 

माला हमेशा तसबी प्रयोग करनी चाहिये नही मिलें तो हकीक सफेद रंग का लाल , काली हकीक माला से भी जाप किये जाते है


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

Wednesday, September 06, 2023

तंत्र की शुरुआत कैसे करें ?/ Tantra Ki Shuruaat ?

 


तंत्र प्रारंभ केसे करें या क्या क्या करना है

दीक्षा लेने के बाद साधकों के सवाल होते हैं की गुरुजी हम शुरूआत केसे करें 

इस लेख के माध्यम से में साधकों को बताऊंगा की आपको प्रारंभ करना केसे है


सभी नये साधको के लिये हम तीन कार्य करने को देते है जो बेसिक मे आते है 

बेसिक होने के बाद आप जो चाहो वो साधना सम्पन्न कर सकते है अपनी क्षमता के आधार पर


ये तीन काम निम्न है 

1 :. गुरूमंत्र करना

2 :. पंचोपचार पूजन करना 

3 :. कवच किलन सिद्ध करना


ये तीन काम आपको एक महीने मे पूरे कर लेने है 

1.  गुरूमंत्र

जो दिव्य मंत्र गुरुमुख से तुम्हारे कान में फूंका जाता है  वो तुम्हारा गुरूमंत्र है उसका दो घन्टे तक मानसिक जाप करना है 

( गौतम बुद्ध की तरह )


ये जाप कही भी, कभी भी कर सकते है 

गुरूमंत्र हमेशा गुप्त रखा जाता है 

किसी को भी नही बताया जाता 

वेसे तंत्र का प्रथम नियम यही है कि इसे पूरी तरह से गुप्त ही रखा जाता है 


2.  प्राथमिक पूजन

आपको अपने घर मे प्रतिदिन गुरू, गनेश, इष्ट ,कुलदेव, पितरो, स्थानदेव  का पंचोपचार पूजन करना है 

हो सके तो सुबह शाम नही तो एक समय पूजन देना अनिवार्य है 

जिसके पितर , कुलदेव देवी मनी हुयी है उसकी साधना सफल हो जाती है 

इसलिये सबसे पहले इने मनाया जाना बहुत जरूरी है 


3. कवच, कीलन सिद्ध करना

समय पर दिये गये रक्षा मंत्र सुरक्षा मंत्रो को सिद्ध करना है जितने हो सके कवच मंत्रो को सिद्ध करे 

ताकि आपको और आपके परिवार को  कभी कोई खतरा ना रहें 

जितने कवच आप सिद्ध करोगे आपकी शक्ति उतनी ही बढ जायेगी 

वक्त वे वक्त ये रक्षा सुरक्षा मंत्र आपके काम आयगे 

ये सुरक्षा मंत्र आपके शत्रुओ से आपकी रक्षा करेगे और बहुत कुछ करेगे 


ये बातो का आपको पालन करना है 

ये तीन कार्यों को नियमित पूर्ण करने से आप तंत्र में आगे बढ़ते जाओगे 

इसके बाद आप जो चाहोगे वो साधना कर सकते हो निसन्देह सफलता मिलेगी 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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पंचोपचार पूजन क्या है ?/ Panchopchar Pujan Kya hai ?

 

पंचोपचार पूजन 

कुछ साधक पंचोपचार पूजन क्या है इसे समझ ही नही पाते और बिना पूर्ण जानकारी के साधना करने से लाभ भी नही प्राप्त होता तो इसी दुविधा को दूर करने के लिए मैं आप सभी को तंत्र के सर्वाधिक प्रयोग होने वाले पंचोपचार पूजन के बारे में बताने जा रहा हूं ताकि आपकी दिक्कत खत्म हो !

घर, मंदिर, विशेष अनुष्ठान, समय और परिस्थिति के अनुरूप हम छोटी या बड़ी पूजा पद्धति के साथ भगवान की पूजा करते हैं. शास्त्रों में पूजा के कई प्रकार बताए गए हैं. पूजा के लिए मुख्यत: पंचोपचार, दशोपचार और षोडशोपचार इन तीन विधियों  का पालन किया जाता है.


लेकिन मैं यहां आपको केवल पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन के बारे में बताऊंगा 

जिस पूजन में पॉच पदार्थों द्वारा देवता की पूजा की जाती है उसे पंचोपचार पूजन कहते है

1 अगर बत्ती लगाना या धूप जलाना
2 दीपक जलाना
3 चंदन ,या सिन्दूर या इत्र लगाना
4 भोग में मिठाई ,बताशा या पकवान देना
5 जल देना

ये सब देते है तो पंचोपचार पूजन कहलाता है यही सब पूजन में मुख्य होता है

ये प्रत्येक पूजन पाठ जाप साधना में जरूरी है

वेसे इसके साथ देवता का आवाहन ,उसे स्थान देना
पैर धोना ,वस्त्र देना ,फिर ये पंचोपचार पूजन किया जाता है


षोडशोपचार पूजन

सोलह पदार्थों से पूजन करने को षोडशोपचार पूजन कहते है

इसमें देव को बुलाना ,आसन देना ,पैर धोना ,या नहलाना ,वस्त्र देना , चंदन देना ,सिन्दूर , धूप ,दीप ,पुष्प चढाना ,फल ,नैवेध,जल ,ताम्बूल , प्रार्थना , विसर्जन आदि ये सब करते है


लेकिन सबसे मुख्य वही पंचोपचार पूजन किया जाता है

भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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Tuesday, September 05, 2023

पितृ पक्ष या श्राद्ध की प्रमुख तिथियां 2023 / Pitra Paksha Dates 2023

 


पितर पक्ष इस साल 29 सितंबर से आरंभ होगा और इसका समापन 14 अक्‍टूबर को होगा।

पितृ पक्ष के दौरान पितरों का पिंडदान करने के सााथ तर्पण करना शुभ माना जाता है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के साथ पितृपक्ष आरंभ हो जाते हैं, 

जो आश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होते हैं। 

बता दें कि इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से आरंभ हो रहे हैं। 

16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को याद किया जाता है

उनका तर्पण करने के साथ श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। 

माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 

इसके साथ ही वह सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। 


हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृपक्ष 29 सिंतबर, शुक्रावार से शुरू हो रहे हैं, और 14 अक्टूबर को समाप्त हो रहे हैं।





पितृ पक्ष 2023 तिथियां 

पूर्णिमा श्राद्ध- 29 सितंबर 2023, शुक्रवार

प्रतिपदा श्राद्ध - 30 सितंबर 2023, शनिवार 

द्वितीया श्राद्ध- 1 अक्टूबर 2023, रविवार

तृतीया श्राद्ध- 2 अक्टूबर 2023, सोमवार

चतुर्थी श्राद्ध- 3 अक्टूबर 2023, मंगलवार

पंचमी श्राद्ध- 4 अक्टूबर 2023, बुधवार

षष्ठी श्राद्ध- 5 अक्टूबर 2023, गुरुवार 

सप्तमी श्राद्ध- 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार

अष्टमी श्राद्ध -7 अक्टूबर 2023, शनिवार

नवमी श्राद्ध- 8 अक्टूबर 2023, रविवार

दशमी श्राद्ध- 9 अक्टूबर 2023, सोमवार

 एकादशी श्राद्ध- 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार

द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023, बुधवार

त्रयोदशी श्राद्ध- 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार

चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार

सर्वपितृ अमावस्या- 14 अक्टूबर 2023, शनिवार


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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Sunday, September 03, 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 तिथि / Shree Krishna Janmashtami 2023

 


श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि, समय, महूर्त, नक्षत्र ज्ञान


श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. 

इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है. 

आज इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको सही तिथि, समय के बारे में बता रहा हूं ताकि आप भटके न 

कुछ लोग उदित तिथि के आधार पर 7 तारीख को अष्टमी मान रहे हैं जो कि ठीक भी है 

लेकिन रात्रि में नवमी तिथि होगी और रोहिणी नक्षत्र योग उस रात्रि नही है

तो अपनी सोच से काम लें किसी ले बहकावे में न आये

जन्माष्टमी 2023

द्वापर युग में श्रीहरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था. 

हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है.

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. 

इस साल जन्माष्टमी बहुत खास है क्योंकि इस बार कान्हा का जन्मदिवस बुधवार को ही मनाया जाएगा, 

जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी 2023 तिथि 

भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरू - 06 सितंबर 2023, दोपहर 03.37 

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त - 07 सितंबर 2023, शाम 04.14


6 सितंबर 2023 - गृहस्थ जीवन वालों को इस दिन जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा. 

इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात्रि पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. 

बाल गोपाल का जन्म रात में ही हुआ था. नंद के लाल कान्हा का जन्म मथुरा में हुआ था, 

इसलिए इस साल 6 सितंबर को मथुरा में भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

7 सितंबर 2023 - पंचांग के अनुसार इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. 

साधू, संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है.


जन्माष्टमी 2023 पर रोहिणी नक्षत्र 

रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20

रोहिणी नक्षत्र समाप्त - 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25


जन्माष्टमी 2023 पूजा मुहूर्त 

श्रीकृष्ण पूजा का समय - 6 सितंबर 2023,रात्रि 11.57 से 07 सितंबर 2023, अर्धरात्रि 12:42

पूजा अवधि - 46 मिनट , मध्यरात्रि का क्षण - प्रात: 12.02


जन्माष्टमी 2023 व्रत पारण समय 

धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय - 07 सितंबर 2023, शाम सुबह 06.02 मिनट के बाद

वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय - 07 सितंबर 2023, प्रात: 12.42 को कान्हा की पूजा के बाद

नोट : यहां सूचना सिर्फ वैदिक पंचांग की गड़ना पर आधारित है 

दिशा, स्थान, के आधार पर समय अवधि में कुछ मिनटों का बदलाव हो सकता है 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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हवन की सरल विधी/ Hawan ki Saral Vidhi

     


आज जो में आपको हवन की विधी बताने जा रहा हूं वह एकदम सरल है

जिसे आप खुद अपने घर पर कर सकते हैं वो भी बिना किसी दिक्कत के

सबसे पहले जरूरी सभी सामग्री एक जगह इकट्ठा कर लें , हवन कुंड को रोली, हल्दी से सजा लें

अब पहले पवित्रीकरण करें फिर आचमन करें उसके बाद सभी के रोली से टिका करके कलावा बांधे 

अब अग्नि देव के नाम से दीपक जलाएं

फिर कुंड में आम की लकड़ियां लगा लें और हाथ मे चावल और पुष्प लेकर कुंड में अग्निदेव को स्थान देते हुए छोड़ दें 

फिर कपूर की सहायता से दीपक से अग्नि जलाए ,अग्नि जलने के बाद 


सबसे पहले गुरू मंत्र की तीन , पांच, सात या ग्यारह आहुति दें घी से


फिर नीचे लिखे क्रम से सभी की तीन तीन  आहुति दें

ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन महा गणाधिपतये नमः स्वाहा

ॐ श्री अग्नि देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री इष्ट दैवतायै नमः स्वाहा

ॐ श्री  कुल दैवतायै नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो पित्रभ्यो नमः स्वाहा

ॐ ग्राम देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ स्थान देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो लोकपालभ्योनमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो दिक्पालभ्यो नमः स्वाहा

ॐ नव ग्रहाये मंडलाय स्वाहा

ॐ श्री शची पुरन्धरभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री  लक्ष्मी नारायणभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री उमा महेश्वरभ्यो नमः स्वाहा

ॐ श्री वाणी हिरण्यगर्भभ्यो  नम स्वाहा

ॐ श्री मातृपितृचरण कमलभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो देवतभ्यो नमः स्वाहा

ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन महा गण पतये नमः स्वाहा




इसके बाद अपने पास से कोई भी बंधन मंत्र की आहुति डलवाये

अब आहुतियां पूर्ण होने के बाद मुख्य शक्ति को अग्नि में ही भोग दें

साथ मे अग्नि देव को भोग देते हुए कहें 

हे अग्निदेव मेने जो भी जैसे भी जिस शक्ति का भी हवन पूजन आपके माध्यम से किया है 

यह सब उनतक पहुचाये ओर मेरा फल मुझे प्रदान करवाने में सहयोग करें 

ये भोग स्वीकार 


फिर अंत मे एक सूखे गोले मे घी लगाकर थोडा काटकर फिर उसके अन्दर हवन सामग्री भर दें

और उसे वापस कलावे से लपेट कर रखे सभी यजमानों के हाथ से स्पर्श करवाएं ओर मुख्य यजमान से खड़े होकर अग्नि कुंड के आहुति डलवा दें 

ये मंत्र पढ़ते हुए

ॐ पूर्ण वेद पूर्ण आहुति पूर्ण आगम अलख सुख श्रीं ह्रीम स्वाहा


सारी बची सामग्री उसी मे होम कर देनी चाहिये और घी भी , अब खडे होकर परिक्रमा लगा लो  प्रार्थना कर लो

हो गया हवन बिना किसी दिक्कत के 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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Saturday, September 02, 2023

ज्योत ( अग्यारी ) की विधी / Jyot ki Vidhi

 



आज मे आपको ज्योत करने की विधि बता रहा हू जिसे गॉवो मे अग्यारी करना कहते है

मुझसे कई साधकों ने पूछा है की शक्तियों को ज्योत पर भोग केसे देते हैं 

आप अपने ईस्ट को या घर की अन्य शक्तियों को मंगलवार या शनिवार और त्योहार वाले दिन ज्योत करके भोग दे सकते है 


ज्योत पर देव या देवी को भोग दिया जाता है जो सीधा देवता ग्रहण करता है

सभी साधको को अपनी इष्ट की शक्ति बढाने उने भोग देने के लिये कम से कम हफ्ते मे एक बार ज्योत अवश्य  करनी चाहिये

ज्योत कंडे ( उपले ) पर होती है यह छोटा सा हवन जैसा होता है लेकिन हवन नही होता 


विधि 


उपला या गोबर के कंडे को जला कर  ( या गैस पर कुछ देर रख दे  पूरा जलने के बाद  )|  

 लाल होने के बाद उस पर धूप डाले फिर तेल डालो चम्मच से थोडा सा फिर माचिस से जला दो

आप जलाने के लिए कपूर का प्रयोग भी कर सकते है 

कुछ लोग दीपक पास मे रख देते है 

केसे भी करो ज्योत जलनी चाहिये बस

वो चारो तरफ से बहुत अच्छी जलने लगेगी लो हो गई ज्योत तैयार

फिर जो लौग बतासे भोग मे देने है वो देवता का नाम लेकर ज्योत पर चढाते जाये

या बूंदी का लड्डू आपको ज्योत पर ही देना है देवता के नाम से

बस हो गई ज्योत

धूप तेल थोडा थोडा बीच बीच मे डालते रहे

उपला ( कंडी  ) अच्छी तरह से जलना चाहिये

नही तो ज्योत पर आग ठीक से नही जलेगी


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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श्री गुरु चरण पूजन विधि व स्त्रोत/ Shree Guru Charan Pujan Wa Strotra

 


गुरू पूजन देव पूजन से भी उत्तम है जो शिष्य नित्य गुरू पूजन करते है

उनकी सभी साधना निर्विध्न पूर्ण होती है और पूरी सफलता प्राप्त होती है

देव कृपा से अधिक गुरू कृपा की महत्ता है  इसलिये हमे गुरू पूजन अनिवार्य

रूप से नित्य करना चाहिये


जिन साधको ने गुरू से दीक्षा ली है वो गुरू द्वारा दिये गये गुरू मंत्र से पूजन करे

जिनके पास गुरू मंत्र नही है वो मेरे दिये इस मंत्र द्वारा पूजन करे

ओम ह्रीम गुरो प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यम्


गुरू की तस्वीर सामने स्थापित करे , गुरू पूजन का संकल्प ले, गुरूजी का आवाहन करे


पूजन के लिये आप घी का दीपक लगाये ,अगर बत्ती जलाये  ,सेन्ट  ,चन्दन , पुष्प ,चावल ,वस्त्र ,फल ,  मिठाई , जल  आदि पंचोपचार पूजन करे गुरू स्त्रोतो का पाठ करे  यथा शक्ति गुरू मंत्र  का पाठ करे


 गुरूजी से कृपा प्राप्ति का आर्शिवाद ले

पूजन का विसर्जन  करे


गुुरू स्त्रोत    ------

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु

गुरूदेवो महेश्वर

 गुरू साक्षात परम ब्रह्म

तस्मै श्री गुरवै नमः


ध्यानम् मूलं गुरू मूर्ति

पूजा मूलं गुरो पदमं

मंत्र मूलं गुरू वाक्यम्

मोक्ष मूलं गुरू कृपा


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव

त्वमेव विधा द्रवणम् त्वमेव

त्वमेव सर्वम्  मम् देव देव  


गुरू गंगा गुरू गोमती

गुरू देवां रा देव

गुरू सू चेला आगला

करे गुरॉ री सेव


गुरू गोविन्द दोऊ खडे

काकै लागूं पाय

बलिहारी गुरू आपने

गोविन्द दियो बताय


 सब धरती कागज करूं

 लेखनि सब वनराय

सात समुद्र की मसि करूं

गुरू गुन लिखा न जाय


मात पिता तो फेर मिले

लख चौरासी माय

गुरू सेवा चरण बन्दगी

फेर मिलन की नाय


गुरू बिन भव निधि तरय न कोई

जो विरंचि शंकर सम होई


यह तन विष की बेलरी

गुरू अमृत की खान

 शीश दिये जो गुरू मिलैं तौ भी सस्ता जान


श्री गुरू चरन है चन्द्रमा  सेवक

 नयन चकोर

अष्ट प्रहर निरखत रहूं

श्री गुरू चरनो की ओर


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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शक्ति के पूजन के बाद चढाये हुये भोग , सामग्री का क्या करें

 


साधकों का एक सवाल हमेशा रहता है की साधना के या नित्य पूजन के बाद देवताओं को चढ़े हुए 

भोग का बाद में क्या करना है ? तो आज में इस पोस्ट के माध्यम से यही बताना चाहता हूं 

की आपको चढ़े हुए भोग का क्या करना है 


साधना और पूजन में जिस मिठाई के पीस को या बताशे को 

देव , देवी, परी, अप्सरा , प्रेत आदि को चडाते है तो 

उसे दूसरे दिन किसी पंछी को , गाय को , कुत्ते को खिलादें , 

किसी बिना पानी के कुये मे , किसी चलती नदी मे बहा देना चाहिये 

ये उस पीस की बात हो रही है जिसे चढाया जाता है 

चडाये हुये पीस को खाया नही जाता है 


याद रखें देव साधना मे जैसे हनुमान , काली , भैरव ,शिवजी आदि के जाप पूजन साधना में जब काफी अधिक यानि एक पीस से अधिक मिठाई का भोग लगाते है तो उस मिठाई को पूजा जाप के बाद घर परिवार मे बच्चो को प्रसाद रूप मे बॉट सकते है 

या स्वंय खा सकते है 

भूत , प्रेत,  यक्षणी , जिन्न , परी आदि को चडाये भोग नही खाये जाते है 

अन्य पूजन सामग्री जैसे इत्र का फाया , पुष्प , रोली , कलावा आदि सामग्री किसी बहते पानी मे डाल दें 

या किसी अन्य स्थान पर डाल दें या इकट्ठा करके दस बारह दिन मे डाल सकते है


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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Friday, September 01, 2023

सर्प संजीवनी बूटी/ Sarp Sanjivni Buti

 

 

सर्प संजीवनी बूटी


यह बूटी भारत के छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य के जंगलों में पाई जाती है 

जो की एक वृक्ष की जड़ होती है यह भूमि में अंदर ना होकर के वृक्ष के ऊपर उगती है 

 इस सर्प संजीवनी बूटी को घर के देवस्थान में रखकर पूजन करने से कालसर्प दोष का भय नष्ट हो जाता है

और 

यदि इस मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाए तो आपका घर सभी दिशाओं से सांपों के आक्रमण से बचा रहता है 

आपके घर में सर्प प्रवेश नहीं करेंगे

       

हमारी संस्था द्वारा इस सर्प संजीवनी बूटी को पूर्ण विधि-विधान से गुप्त मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित करके आप लोगों के लिए तैयार किया जा रहा है 

जो कि सावन माह में तैयार हो जाएगी और इसका वितरण शुरू हो जाएगा इसे आप अपने घर में स्थापित कर सभी विपत्तियों से सुरक्षित रहेंगे इसकी एक धन राशि निर्धारित है 

इसके साथ ही आपको अपने निवास स्थान को अन्य नकारात्मक शक्तियां से बचाने के लिए अभिमंत्रित पीली सरसों व अभिमंत्रित किलें भी दी जाएगी

दक्षिणा शुल्क जमा करके हमारे संस्था के नंबर पर रसीद भेजें


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

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चंद्रा अप्सरा साधना / Chandra Apsra Sadhana

 


चंद्रा अप्सरा परिचय 


यह 4 सहायक अप्सराओं के समूह में रहती हैं

यह बहुत सुंदर दिखने वाली है 

इसके बाल सदैव खुले रहते है

ये पत्नी, प्रेमिका ,और बहन के रूप में सिद्ध होती हैं

सिद्ध होने के बाद ये साधक को राजयोग जीवन देती हैं

इसके साधक को कभी भी धन का अभाव नही होता 

तेजवान ,गुणी, बुद्धिमान बनाती हैं

सम्मोहन व वशिकरण में माहिर होती हैं

ये दूसरों के मन की बात जानने में निपुण होती हैं

ये अपने साधक को कभी भी दुखी नही देख सकती

इसके साधक में से मनमोहन सुगंध आती हैं 

धन की रुकावट दूर करती हैं

शत्रुओं को भी मित्र बना देती हैं



विधान

 

दिन पूर्णिमा या चंद्र ग्रहण 

इसका पूजन सफेद वस्त्र पहनकर करते है

उत्तर मुख , सफेद आसन, सफेद मिठाई केसर युक्त, मीठा शर्बत, मीठा दूध भोग में दें 

सामने सफेद आसान पर चावल की ढेरी बनाकर उसपर भोजपत्र पर मंत्र को केसर से लिखकर रखें 

सुगंधित अगरबत्ती , घी का दीपक, सफेद फूल, और माला से पूजन करें

गुरु, गणेश, ईस्ट, स्थान देव, इन्द्रदेव ओर अप्सरा का पूजन

फिर मोति या स्फेटिक माला से **** माला का जाप करें 

जाप के बाद वही सो जाएं 3 दिन लगातार करनी है 

तीसरे दिन जब अप्सरा प्रत्यक्ष आये तो उसका स्वागत गुलाब के फूलों से करें 

वचन ले लें 

मंत्र 

ऐं *********। *********। ********। ******* नमः

( पूर्ण मंत्र जानने के लिए दिए गए नम्बर पर संपर्क करें )


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

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Thursday, August 31, 2023

शत्रु नाशक मंत्र साधना / Shatru Nashak Sadhana

 



निवेदन :- जब तक अति आवश्यक ना हो तब तक कोई भी ऐसा कृत्य ना करें जैसे मारण या प्रताड़ना देना 

यह आप तभी करें जब शिकार और शिकारी वाली स्थिति बन रही हो 

यदि आपको लगता है कि आपका शत्रु आप का दमन कर देगा तो उसका दमन आप पहले करें 

इस क्रिया विधान को यहां देने का मुख्य कारण केवल यही है कि जरूरत पड़ने पर आप अपना रक्षण कर सकें


चेतावनी :- बिना गुरु आज्ञा के या बिना गुरु पूजन के यह क्रिया सम्पन्न ना करें, परिणाम प्राणघातक हो सकते हैं


साधना 

दिया जाने वाला मंत्र पूरी तरह से प्रमाणित है परीक्षित है इसका प्रयोग मैंने कई साधकों से करवाया है 

और सफल परिणाम मिले हैं

आपको आवश्यकता होगी शत्रु के फोटो की, उसके नाम ,पता और उसकी मां का नाम

फोटो के पीछे लोहे की कलम से चाहे कील हो या आलपिन हो काजल से शत्रु का नाम, उसकी मां का नाम और उसका पूरा पता लिखना है और उस फोटो को भोजपत्र में लपेट देना है अब उसे कलावे से बांध देना है

शनिवार वाली रात 10:00 बजे काले वस्त्र पहनकर काले आसन पर दक्षिण मुख बैठना है 

अपने सामने लकड़ी के पाटे पर या चौकी पर एक काला कपड़ा बिछाये उस पर जो फोटो आपने भोजपत्र में बांधकर तैयार की है उसे रखें बीच में उसके ऊपर सरसों के तेल का दीपक रखें ऑडी बाती का दीपक जलाएं 

सर्वप्रथम आपको अपने गुरु का पूजन करना है सात्विक विधि से भोग में लड्डू देना है अपने इष्ट का पूजन करना है 

भोग में लड्डू देना है 

अब आपको कपाल रुद्र का पूजन करना है इन्हें आपको लड्डू देना है और देसी शराब की धार देनी है फिर आपको चामुंडा माता का पूजन करना है और इन्हें भी लड्डू और शराब की धार लगेगी 

सब से हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी है कि जो मंत्र अनुष्ठान आप कर रहे हो वह सफल हो अब आपको संकल्प लेना है

कि मैं अपने शत्रु के नाश के लिए या उसे प्रताड़ित करने के लिए दिए गए मंत्र का इतने माला का जाप कर रहा हूं 

इसके फलस्वरूप मेरे शत्रु का दमन हो नाच हो या जो भी आपको उसे दंड देना है वह बोल सकते हो     


अब रुद्राक्ष की माला से 11 माला इस मंत्र का जाप करना है 3 दिन लगातार 

यदि आपको भय हो तो आप सुरक्षा कवच लगा सकते हो अन्यथा आवश्यकता नहीं है

अनुभव हो सकते हैं थोड़े डरावने भी हो सकते हैं चीखने चिल्लाने की आवाज आ सकती हैं 

घबराने की आवश्यकता नही है क्योंकि इसमें चलने वाली दोनों शक्तियां उग्र ओर तामसिक हैं 


मंत्र :- 


ओम नमः **************- वीर्य - पराक्रम ***********, 

मारे ************************************** कोर 

नमः कपाल ******************************** स्वाहा।।

( पूर्ण मंत्र जानने के लिए हमारे नम्बरों पर सम्पर्क करें )


नोट:-  मंत्र में जहां अमुक शब्द है वहां शत्रु का नाम लेना है

साधना के दौरान आपको जमीन पर उसी कमरे में सोना है जहां आप साधना कर रहे हो 

ब्रह्मचर्य का पालन करना है 

शराब मांस मछली का सेवन नहीं करना है स्त्री गमन नहीं करना है


3 दिन में ही शत्रु तड़पने लगेगा मानसिक प्रताड़ना उसे मिलना शुरू हो जाएगी उसके घर में भी आपसी कलह के बाद विवाद होने लग जाएंगे

शत्रु की खबर लेते रहे पूरी क्रिया के दौरान आप को जितना उसे तड़पाना है उतना करें


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693


पूज्य श्री भैरव वीरेन्द्र गुरुजी/ Bhairav Virendra Guruji

 



तंत्र एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर मनुष्य को एक अजीब सा डर होने लगता है 

समाज में तंत्र को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिससे लोग डरते हैं लोग समझते हैं तंत्र केवल लोगों का और समाज का अमंगल ही करता है ऐसा नहीं है गुरुजी उद्देश्य लोगों में तंत्र के प्रति फैलने वाली भ्रांतियां को तोड़ना है तंत्र से होने वाले जनकल्याण को समाज के लोगों को बताना है

वीरेंद्र जी की बाल्यकाल से ही तंत्र-मंत्र व यंत्र के प्रति रुचि रही है

लगभग 10 वर्ष की आयु से ही इन्होंने अपने ईष्ट को गुरु मानकर कई दुर्लभ साधनाएं संपन्न की हैं 

उसके बाद भैरव वीरेंद्र जी को पूज्य श्री हरेश गुरु जी का सानिध्य प्राप्त हुआ पूज्य हरेश गुरु जी ने ईस्ट मंत्र द्वारा वीरेंद्र जी की दीक्षा संपन्न की दीक्षा के बाद वीरेंद्र जी ने पूज्य हरेश गुरु जी के सानिध्य में कई साधना संपन्न की 

वह उज्जैन के विक्रांत भैरव शमशान , चक्रतीर्थ शमशान , तारापीठ शमशान, गुवाहाटी के भूतेश्वर शमशान , कोलकाता के कालीघाट शमशान में अनेक प्रकार की साधना संपन्न की और अपनी शक्तियों का विस्तार किया


पूज्य हरेश गुरु जी द्वारा अघोर दीक्षा संपन्न करके दुर्लभ शमशान भैरव साधना पूर्ण की इसी वजह से पूज्य गुरुदेव द्वारा भैरव उपाधि प्रदान की गई 

और तंत्र जगत में एक नया नाम भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरी हुआ  जो की तंत्र शक्ति द्वारा समाज कल्याण व परोपकार के कार्य वह आज भी कर रहे हैं 

और तंत्र मार्ग में आगे बढ़ रहे हैं तथा समाज को तंत्र के प्रति जागरूक कर रहे हैं



भैरव वीरेंद्र जी आज भी साधकों को तंत्र दीक्षा देकर तंत्र ,मंत्र,  यंत्र ,ज्योतिष ,सिद्धि साधनाओ का अध्ययन करा रहे हैं 

वह समाज की तंत्र के लिए जो गलत सोच है उसे बदलने का कार्य कर रहे हैं 

हमारे इस ब्लॉक का यही उद्देश्य है की समाज में तंत्र के प्रति जो गलत धारणा है उसे तोड़ना और समाज को सत्यता से अवगत कराना व तंत्र के जिज्ञासु साधकों को सच्चा और बेहतर तंत्र सीखना है 


भैरव वीरेन्द्र रुद्रनाथ अघोरी 

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923400693

एक परिचय / Prichay



पु
ष्पा देवी ज्योतिष व तंत्र मंत्र शक्ति साधना फाउंडेशन® 

जो कि भारत सरकार द्वारा ( Saction 8 of the companies Act ,2013 ) में रजिस्टर्ड है 

जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर U5300UP2022NPL159891 है 

जिसका मुख्य व्यवसायिक कार्यालय - फरह जिला मथुरा ( उ.प्र.), पिन कोड 281122 है 

जिसके प्रथम डारेक्टर वीरेन्द्र सिंह निवासी आगरा (उ.प्र ) हैं 


हमारी संस्था द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब पर वैदिक तंत्र साधना संस्थान® के नाम से एक चैनल चल रहा है 

जिसको की स्वयं तंत्राचार्य , ज्योतिषाचार्य, पराशक्तियों के जानकार व सिद्धि साधनाओं में पारंगत श्री भैरव वीरेन्द्र गुरुजी संचालित कर है 

संस्था का मुख्य कार्य लोगो को धर्म, ईश्वर, आस्था के प्रति फैल रहे पाखंड अंधविश्वास से सजग करना व तंत्र मंत्र ,के नाम पर हो रही लूट, जालसाजी से बचाना व सही मार्गदर्शन करना है 

इस उद्देश्य के अंतर्गत समाज मै ज्योतिष, धर्म, तंत्र से जुड़ी गलत धारणा को समाज से दूर करना वा इसके अंतर्गत जो लोग समाज के साथ तंत्र के नाम से समाज को वर्गला कर अपने स्वार्थ को सिद्ध कर रहे हैं उस से अवगत करवाना है।

अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली विचार धारा को जिससे लोग भ्रमित हो रहे हो अनेको प्रकार से ठगी होने की रोकथाम के लिए लोगो को सत्य व सही जानकारी लोगो तक पहुंचना।

समाज कल्याण हेतु व उनके निवारण हेतु हम ज्ञान, प्रसार करने हेतु हमारी संस्था कार्यरत है

यहां हम समाज को ईश्वर की भक्ति के द्वारा व प्राचीन वैदिक मंत्र प्रयोगों द्वारा उनके जीवन की समस्याओं के निवारण के लिए सदैव तत्पर है


नोट:– हमारी संस्था किसी भी प्रकार की बलि प्रथा को बढ़ावा नही देती और ना ही किसी जीवित या मृत जीव के अंगों का प्रयोग करने वाली साधना का प्रकासन करती 


भैरव वीरेन्द्र रूद्रनाथ अघोरी

वैदिक तंत्र साधना संस्थान

8923000693